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"शमी वृक्ष" की पहचान – शमी का पेड़ कैसा होता है?

Identification of real Shami tree

शमी वृक्ष

शमी वृक्ष मूल रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाते हैं। इस बात की लगभग पूरी संभावना है कि आपने शमी वृक्ष को पहले एक बार या कई बार देखें होंगे। निश्चित रूप से शमी से मिलते-जुलते वृक्ष तो आपने देखे ही है। और शायद ही आपको यह पता होगा की यहीं रियल शमी वृक्ष है। अगर आप शमी के पौधे की तलाश में हैं, तो आपको सबसे पहले यह जानना होगा कि यह पौधा कैसा दिखता है ? शमी के फल, फूल, पत्तियाँ आदि कैसे होते है? और आप इसे वास्तव में कैसे पहचान सकते हैं। यहाँ शमी वृक्ष की मुख्य विशेषताएँ और लक्षणों को पहचानेंगे और शमी वृक्ष और पौधे को आप स्वयं पहचाने इसके तरीके बताएंगे।

असली शमी वृक्ष की पहचान

इससे पहले कि हम इस बारे में बात करें कि आप वास्तव में शमी के पौधे की पहचान कैसे कर सकते हैं, यहाँ शमी के पौधे का इतिहास, सांस्कृतिक महत्व, मुख्य विशेषताएँ और इसके समान दिखने वाले अन्य पेड़ आदि बताए गए हैं।

शमी वृक्ष भारत का पवित्र वृक्ष माना जाता है और कई पारंपरिक चिकित्सा के साथ-साथ धार्मिक प्रथाओं में भी इसका महत्वपूर्ण महत्व है। भारत में, इसे सौभाग्य, समृद्धि और आध्यात्मिक महत्व का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में भी शमी वृक्ष का विस्तार से वर्णन मिलता है। इसे संस्कृत में शमी वृक्ष कहा जाता है राजस्थान में पाया जाने वाला वृक्ष खेजड़ी को ही शमी कहा जाता है। इसे उत्तर प्रदेश में छोंकारा, तेलंगाना में जम्मी भी कहते है। शमी का वृक्ष आठ से दस मीटर तक ऊंचा होता है। रियल शमी पौधे की पहचान उसके कांटे, फूल, पत्तियों आदि की जाती है। इस वृक्ष की शाखाओं पर छोटे-छोटे कांटे होते हैं। इसकी पत्तियां द्विपक्षवत व काफी बारिक होती हैं। शमी के फूल को मञ्जरी कहते है जो हरे रंग के होते हैं। फूल खिलने के बाद पिले रंग के होते है। शमी का जैविक नाम प्रोसोपिस सिनेरिया (Prosopis Cineraria) है। शमी पेड़ का नाम लगभग सभी ने सुना होगा लेकिन बहुत से व्यक्तियों को असली शमी के पेड़ के बारे में जानकारी नहीं है क्योंकि छोटे पौधों में शमी की पहचान करना मुश्किल है। यदि दो एक जैसे बड़े वृक्ष सामने हो तो असली शमी के पेड़ की पहचान करना बेहद आसान है। दोनों के फूल, पत्तियां और कांटे का स्थान आदि में भिन्नता होती है। अतः पहचान कर सकते है। असली शमी यह एक मध्य आकार का पेड़ होता है। जिसका तना व शाखाएं सफेद और कुछ भूरे रंग की होती हैं नयी शाखाएं हरे रंग की होती है तथा निचे की और झुकी होती है। रियल शमी वृक्ष के मुख्य तने पर पपड़ी होती हैं या छाल फटा हुआ और खुरदरा होता है। यहाँ पूर्ण रूप से वर्णन किया गया है की वास्तविक शमी वृक्ष को फल, फूल, बीज, पत्तियाँ, काँटे, नाम आदि से कैसे पहचाने।

शमी की तरह दिखने वाले अन्य वृक्ष

शमी वृक्ष (prosopis cineraria), काबुली किंकर (Prosopis juliflora), वीरतरु (Dichrostachys cinerea), बबूल (Acacia Nilotica) ये पौधे लगभग एक सामान है। इन चारों के छोटे पौधे अंतर करना बहुत मुश्किल है। इन पौधों के भीतर तनों की संख्या, सीधापन, फली का आकर, बीज, फूल का रंग व आकर, पत्तियों का आकर-प्रकार, कांटों का आकार, फूल और फल लगने का समय, कांटों का स्थान, छतरियों के आकार और आकृति के संदर्भ में कुछ समानताएँ एवँ भिन्नता होती है। बड़े वृक्ष को ध्यान से देखने पर विभिन्नता का पता चलता है। अधिकतर शमी के स्थान पर वीरतरु का पौधा ही मिलता है। क्योकि दोनों में बहुत अधिक समानता होती है। शमी व वीरतरु के पौधे लगभग एक सामान दिखाई देते है। दोनों में सामान आकर की पत्तियाँ, काँटे, शाखाएँ होती है। फल में भी अंतर कर पाना मुश्किल होता है। फूल से शमी व वीरतरु के पौधे को पहचानना आसान है। वीरतरु कटिंग व बीज से उगाया जा सकता है जबकि असली शमी कटिंग से नहीं बीज से ही उगता है।

शमी व काबुली किंकर के बड़े वृक्ष में फूल व पत्ते एक सामान होते है। दोनों में लगाने वाले फूल को मिमझर कहते है। मिमझर हरे रंग की होती है तथा फूल आने पर ये पिले रंग की होती है। जबकि फल व काँटों में विभिन्नता पायी जाती है। शमी के कांटे छोटे व कबूली कीकर के कांटे आकर में बड़े होते है। शमी व बबूल में भी समानता होती है। शमी का छोटा वृक्ष व बबूल की पत्तियाँ एक सामान होती है, इनकी पत्तियाँ छोटी होती है। शमी का वृक्ष बड़ा होने पर उसकी पत्तियों का आकर कुछ बड़ा हो जाता है। इनके फूल व काँटों में भी विभिन्नता पायी जाती है। बबूल के कांटे एक इंच तक बड़े हो सकते है जिनके चुभने पर दर्द काफी देर तक रहता है।

विशाल रियल शमी वृक्ष

विशाल शमी वृक्ष

नकली या फेक शमी

असली शमी की तरह दिखाई देने वाले अनेक पौधे होते है। इनकी शाखाएँ, पत्ते शमी के सामान ही होती है। ये नकली या फेक शमी होते है। शमी के नाम पर अधिकतर वीरतरु ही मिलता है। ऑनलाइन दिखाई देने वाली अधिकतर फोटो वीरतरु की ही होती है। असली शमी की ऑनलाइन फोटो देखने के लिए खेजड़ी, राजस्थानी खेजड़ी, खेजड़ी का पेड़, खेजड़ी का पौधा, prosopis cineraria आदि से खोजा जा सकता है। शमी की तरह दिखाई देने वाले पौधों के नाम वीरतरु, काबुली किंकर, बबूल आदि मुख्य रूप से है। जिनका वर्णन इस प्रकार है -

  1. dichrostachys cinerea veertaru plant
    वीरतरु (Dichrostachys cinerea)

    वीरतरु सिकल बुश मिमोसा से संबंधित एक सुंदर, छोटा पेड़ है, जो 8 मीटर तक ऊंचा होता है। इसमें द्विपक्षी पत्तियां, 4-8 सेमी लंबी प्रत्येक में 10 से 14 पत्तियां होती हैं। यह खूबसूरत बोतल-ब्रश जैसे फूलों के सिरों के साथ खिलता है जो आधे गुलाबी और आधे पीले होते हैं। पीछे का गुलाबी भाग समय के साथ सफेद हो जाता है। कलियाँ (मंजरी) सुंदर गुलाबी और पीले शहतूत के फल की तरह दिखती हैं। फल-फली संकीर्ण रूप से आयताकार, विभिन्न प्रकार से घुमावदार और/या कुंडलित, 5-7 सेमी लंबी, 0.8-1.5 सेमी चौड़ी, हरी बाद मे काली, चमकदार होती है। सिकल बुश भारत, दक्षिण पूर्व एशिया, अफ्रीका और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया का मूल निवासी है। वीरतरु के फूल और फल जून से अगस्त माह में लगते है।

  2. काबुली किंकर vilayati babul (Prosopis juliflora)
    काबुली किंकर (Prosopis juliflora)

    काबुली किंकर को बिलायती बबूल या दक्खिनी भी कहते है इसका वानस्पतिक नाम प्रोसोपीस् यूलीफ़्लोरा Prosopis juliflora है। यह एक छोटे आकार का वृक्ष है। इस वृक्ष की सामान्यत लंबाई 8 से 10 मीटर तक होती है। इसकी छाल गहरी लहरदार दरारों वाली होती है। इसकी शाखाएँ पीले-भूरे रंग की टेढ़ी-मेढ़ी तथा चिकनी होती है। इसमें लगने वाले कांटे सीधे व लगभग 5 मिमी लंबे एकल या जोड़े में होते है तथा पुरानी शाखाओं पर 5 सेमी तक लम्बे हो सकते है। इसका मूल स्थान मेक्सिको, दक्षिण अमेरिका और कैरेबियन हैं। किंकर वृक्ष का कोई विशेष उपयोग नहीं होता है। काबुली किंकर के बीज हवाई जहाज से सम्पूर्ण भारत की भूमि पर बिखरवाया गया था। अब यह एशिया, आस्ट्रेलिया आदि देशों में एक अनुपयोगी वृक्ष (weed) के रूप में पाया जाता है। इसकी लकड़ी जलने, फली पशु के आहार तथा पर्यावरण प्रबन्धन के लिये उपयोग में लाया जाता है। इसको अंग्रेजी बबूल तथा कीकर भी कहते हैं। इसकी जड़ें भूमि में सीधी गहराई तक पहुँचती हैं जिससे यह कम पानी में या रेगिस्तान में भी आसानी से उग जाता है।

  3. बबूल (Acacia Nilotica)
    बबूल (Acacia Nilotica)

    बबूल का वैज्ञानिक नाम अकेशिया निलोटिका (Acacia nilotica) है। यह एक मध्यम आकार का, कांटेदार, लगभग सदाबहार पेड़ है जो 10-15 मीटर की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। बबूल एक बहुउद्देशीय वृक्ष है। यह लकड़ी, ईंधन, छाया, पशुओं के लिए चारा, शहद, रंग, गोंद और खेत के लिए बाड़ प्रदान करता है। यह मृदा सुधार, मृदा संवर्धन, तेज हवा से सुरक्षा और जैव विविधता के रूप में पर्यावरण पर भी प्रभाव डालता है। बबूल की हरी पतली टहनियां दातून के काम आती हैं। बबूल का गोद उतम कोटि का होता है जो औषधीय गुणों से भरपूर होता है तथा अनेक रोगों के उपचार में काम आता है। बबूल की लकड़ी का कोयला भी अच्छा होता है।

शमी वृक्ष, काबुली किंकर, वीरतरु, बबूल में उनके फल, फूल, पत्तियाँ व काँटों के आधार पर अंतर किया जा सकता है।

शमी वृक्ष की क्या पहचान है?

असली शमी वृक्ष की पहचान एंव विशेषता

शमी के पौधे को आसानी से कैसे पहचानें? अब आइए जानें कि ऐसी कौन सी चीजें हैं जिन्हें देखकर आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपको शमी का पौधा मिल गया है।

शमी पौधे की सबसे बड़ी व मुख्य विशेषता : - असली शमी वृक्ष की नयी शाखाओं की पर्वसंधि (Nodes) पर पत्रक (stipules) होती है। शमी की विशिष्ट पहचान स्टिप्यूल्स होते हैं जो शमी को अन्य पौधों से विशेष और विशिष्ट पहचान देते है और यही रियल शमी का पौधा होता है। स्टिप्यूल्स शमी के पौधों में पत्तियों के आधार पर पाए जाते है। ये छोटी, पत्ती जैसी संरचनाएँ होती हैं, और इन्हें पहचानने में कोई परेशानी नहीं होती है। जहाँ से नयी शाखा निकलती है वहाँ पर स्टिप्यूल्स जोड़े में उगते हैं। यही शमी की महत्वपूर्ण विशेषता है।

शास्त्रों में वर्णित शमी वृक्ष की असली पहचान यह होती है की शमी वृक्ष की शाखाओं की पर्वसंधि (Nodes) पर पत्रक (stipules) होती है। अर्थात जहाँ से पत्ती या शाखा निकलती है वहाँ पर पत्रक होते है। यही असली शमी वृक्ष की मुख्य पहचान होती है। इस तरह के उपपत्र (stipules) वीरतरु, कबूली कीकर व बबूल इनमें नहीं पाए जाते है। अक्सर वीरतरु वृक्ष को भी शमी वृक्ष मान लिया जाता है। वीरतरु वृक्ष की मुख्य पहचान इसके फूल है। वीरतरु के फूल पिले व गुलाबी रंग के होते है। पुष्प का ऊपरी भाग गुलाबी रंग का व निचला भाग पिले रंग का होता है। इसे भी शमी कहते है जबकि यह वीरतरु वृक्ष है। शमी में कांटे दो पत्तियों के बिच में होते है जबकि वीरतारु में कांटे पत्ती के पास ही होते है। शमी का पौधा 8 से 10 मीटर ऊंचा होता है तथा यह मध्यम आकर का होता है। यह हमेशा हरा रहता है। इसके वृक्ष में कांटे होते हैं। इसकी शाखाएं पतली, झुकी हुई और भूरे रंग की होती हैं। इसकी छाल भूरे रंग की तथा खुरदरी होती है। शमी के पौधे के एक पत्ती में 4 या 5 पत्तियां होती है और उनमे भी अनेक छोटी-छोटी पत्तियां होते है। शमी वृक्ष पर मञ्जरी लगते है जो हरे रंग के होते है। इसमें लगने वाले फूल पिले रंग के होते है। इसकी फलियां सीधी व लंबी होती है। इस तरह शमी के पौधे की पहचान उसके कांटे, फूल, पत्तियों से भी की जा सकती है। देशी शमी वृक्ष पर कांटे होते है, जबकि हाइब्रिड शमी पौधे पर कांटे नहीं होते है। शमी वृक्ष को प्रोसोपिस 'सिनेरेरिया (prosopis cineraria) नाम से जाना जाता है तथा राजस्थान में शमी वृक्ष का खेजड़ी नाम भी प्रचलित है।


शमी पौधे की मुख्य विशेषता पर्वसंधि पर एक जोड़ी पत्रक

उपपत्र (foliaceous Stipules)

फूल से शमी पौधे की पहचान
  • फूल से शमी पौधे की पहचान :- शमी के पौधे में फूल फ़रवरी मार्च के महीने में आते है। इसे मञ्जरी या मिमझर कहते है। (वृक्षों या पौधों में फूलों या फलों के स्थान में एक सीके में लगे हुए बहुत से दानों का समूह। जैसे, आम की मंजरी, तुलसी की मंजरी।) ये फूल हरे रंग के होते है तथा फूल खिलने पर पिले रंग के हो जाते है। एक मिमझर में शमी के बहुत सारे फूल होते हैं, ये बहुत ही छोटे और पीले रंग के होते हैं। शमी के फूल से फल (सांगरी) बनती हैं। शमी, वीरतरु और काबुली कीकर के मिमझर में अंतर करना कठिन है, देखने में ये एक सामान ही लगती है। शमी की भाँति काबुली किंकर में मिमझर के साथ साथ फूल भी एक जैसे होते है। जबकि वीरतरु और बबूल के पुष्प बिल्कुल ही अलग होते है। वीरतरु के पुष्प दो रंग के होते है इसका आधा गुलाबी, क्रीमी व आधे पीले रंग के होते हैं। वीरतरु के अक्टूबर से फरवरी तक फूल आते है। बबूल के पुष्प गोलाकार और छोटे, मीठी सुगंध वाले और चमकीले से सुनहरे पीले रंग के होते हैं।

  • Identify shami tree by flower

    शमी के पुष्प

    Identify veertaru by flower

    वीरतरु के पुष्प

    babul flower identify

    बबूल के पुष्प

    kabuli kikar flower

    काबुली कीकर के पुष्प

    कांटे से शमी पौधे की पहचान
  • कांटे से शमी पौधे की पहचान :- वृक्ष पर लगे काँटों से भी पहचान की जा सकती है। काँटों के आकर-प्रकार, लम्बाई, रंग आदि में विभिन्नता पायी जाती है। शाखाओं पर कांटे किस जगह पर लगे है इससे भी वृक्ष की पहचान की जा सकती है। शमी के पौधे के कांटे जोड़े में न होकर वास्तव में एक ही काँटा होता है, ये एक दूसरे के विपरीत होते है। ये काँटे पत्ती की शाखाओं के बीच में पा सकते हैं, जो इस पौधे की सबसे विशिष्ट पहचान है। वीरतरु (dichrostachys cinerea, फेक शमी) पर कांटे नोड एरिया पर होते है, जबकि असली शमी पर दो नोड एरिया के बीच में कांटे होते है। शमी पर कांटे शंक्वाकार और थोड़े घुमावदार होते हैं। इंटरनोड्स के बीच कांटे मौजूद होते हैं (नोड तने से पत्तियों के जुड़ाव का बिंदु है जबकि इंटरनोड लगातार दो नोड्स के बीच की दूरी है) वीरतरु में कांटे लम्बे होते है। वीरतरु के कांटे उसकी शाखाओं के रंग के सामान होते है जबकि शमी में कुछ रंग भेद होता है। काबुली कीकर में कांटे पत्तों के साथ ही (नोड एरिया पर) लगे होते है। ये काँटे लम्बे और एक साथ दो काँटे जोड़े में होते है। बबूल के काँटे भी पतले लम्बे व शाखा पर एक साथ दो काँटे जोड़े में लगे होते है। जोड़े में काँटे V का आकर बनाते है। शमी व विरतरू पर एक ही काँटा होता है।

  • कांटे से रियल शमी पौधे की पहचानr

    शमी के कांटे

    identification veertaru by thron

    वीरतरु के कांटे

    identification babul by thron

    बबूल के कांटे

    identification kabuli kikar by thron

    काबुली कीकर के कांटे

    पत्तों से शमी पौधे की पहचान
  • पत्ती से शमी पौधे की पहचान :-इन चारों पौधों में कम्पाउंड लीफ होती है। यह एक मिश्रित पत्ती पत्रक का एक संग्रह होता है और उनमे भी अनेक छोटी-छोटी पत्तियां निकली होती है। सभी पत्रक मध्यशिरा से अलग-अलग अपने स्वयं के छोटे तनों के माध्यम से जुड़े होते हैं। शमी की कम्पाउंड लीफ में 4 या 5 पत्तियां होती है। इसे ही शमी पत्र कहते है।

  • द्विपिनेट पत्तियाँ :-शमी के पौधे की सबसे खास विशेषता इसकी पत्तियाँ हैं, वे वैकल्पिक द्विपिनेट पत्तियाँ हैं। अगर आपको नहीं पता कि इसका क्या मतलब है तो इसे ऐसे समझें, अगर पत्तियों की दो शाखाएँ एक ही बिंदु से निकल रही हैं, और एक-दूसरे के बगल में व्यवस्थित हैं, तो इसे आप वैकल्पिक द्विपिनेट पत्तियाँ कहते हैं। और यह शमी के पौधों में पाई जाने वाली अनोखी पत्ती व्यवस्था है। शमी पौधें की सबसे बड़ी पहचान ये है की जहाँ से पत्ते निकलते है वहां पर नोड एरिया में शाखा पर ही एक छोटी पत्ती होगी जिसे उपपत्र (foliaceous Stipules - फोलिएसस स्टाइपुल्स) कहते है। ब्रांच में जहाँ से पत्ते बनाने शरू होते है वहाँ पर उपपत्र लगा होता है। शमी में पत्ते की लंबाई व साईज अधिक होता है। शमी वृक्ष की शखाओं पर एक पत्ती दाये तरफ तो दूसरी पत्ती बाये तरफ होती है। वीरतरु के पत्रक आपस में सटे हुए होते हैं जबकि शमी, बबूल और काबुली कीकर के पत्रक के बीच दूरी होती है। वीरतरु के कम्पाउंड लीफ में 10 से 14 पत्तियां होती है। वीरतरु में पत्ते की लंबाई अपेक्षाकृत कम होती है और अधिकतर सभी शाखाओँ पर पत्ते लगभग एक सामान ही होते है। बबूल के कम्पाउंड लीफ में 5 से 12 पत्तियां होती है। आकर में शमी पत्र की तरह ही होती है। काबुली कीकर के कम्पाउंड लीफ में 2 से 6 पत्तियां होती है। काबुली कीकर के पत्ते अपेक्षाकृत बड़े होते है। शमी के पत्ते हल्के नीले-हरे रंग के होते हैं


    Identify shami by leaf

    शमी के पत्ते

    Leaf of veertaru plant

    वीरतरु के पत्ते

    Leaf of babul plant

    बबूल के पत्ते

    Leaf of kabuli kikar

    काबुली कीकर के पत्ते

    फल से शमी पौधे की पहचान
  • फल से पहचाने असली शमी पौधा कौनसा है : - शमी, काबुली कीकर, वीरतरु, बबूल सभी पौधों के फल देखने में एक समान ही लगते है। इनमें लगने वाला फल पतला व लम्बा फली की तरह होता है। इनके फल से भी रियल शमी को पहचाना जा सकता है। सभी वृक्षों की फलियों में कुछ न कुछ अंतर होता है। शमी की फली पतली, लम्बी, गोल व सीधी होती है। बबूल की फलियाँ सफेद रंग की 7 से 8 इंच लम्बी, घुमावदार व थोड़ी चौड़ी एवं खण्डों में बँटी होती हैं, जिनमें बीज होते हैं। काबुली कीकर की फली लम्बी, घुमावदार (C आकर में) थोड़ी चौड़ाई लिए हुए 20-30 x 1.5 सेमी, हल्के पीले, चमकदार, चिकने, चपटे, सीधे समानांतर टांके या अनियमित रूप से उप-एकल रूप में होती है। वीरतरु की फली लम्बी व घुमावदार होती है। इस तरह फल को देखकर भी असली शमी की पहचान की जा सकती है। लेकिन इन सभी वृक्षों पर फल 7 - 8 वर्ष बाद ही लगते है, और ये फ़रवरी से मई के माह के मध्य लगते है। अतः एक बड़े शमी वृक्ष को उसके फलों से पहचाना जा सकता है।

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    शमी की फली

    fruit of Kabuli kikar

    काबुली कीकर की फली

    fruit of babul

    बबूल की फली

    fruit of veertaru

    वीरतरु की फली

    बीज से शमी पौधे की पहचान
  • बीज से शमी पौधे की पहचान : - शमी के बीज बहुत ही छोटे-छोटे तथा क्रीमी और भूरे रंग के होते हैं. शमी के फल सुखते है तो उसमे बीज निकलते हैं। एक फली में लगभग 6 से 9 बीज होते है जो क्रीमी भूरे रंग के होते हैं। शमी के बीज पशु-पक्षी के द्वारा खाए जाते हैं। बबूल के बीज गोल धूसर रंग के एवं चपटे होते हैं। काबुली कीकर के बीज सफेदी लिए हुए पिले रंग के गुद्देदार होते है। ये चपटे व वर्गाकार होते है।

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    शमी के बीज

    babul seeds

    बबूल के बीज

    kabuli kikar seeds

    काबुली कीकर के बीज

    seeds of veertaru

    वीरतरु के बीज

    शमी के छोटे पौधे की पहचान
  • शमी के छोटे पौधे को कैसे पहचाने :- शमी, वीरतरू, बबूल और कीकर के छोटे-छोटे पौधे एक जैसे दिखते हैं। इन चारो में से कोई एक पौधा सामने हो तो शमी को पहचानना बहुत मुश्किल काम है। एक साधारण व्यक्ति के द्वारा छोटे पौधे में शमी की पहचान करना आसान काम नहीं है। एक पेशेवर व्यक्ति छोटे पौधों को पहचान कर सकता है। छोटे-छोटे पौधे में फूल और फल नहीं आते है अतः फूल और फल से इनकी पहचान नहीं हो सकती। प्लांट में पत्तियाँ भी एक समान होती है। छोटे प्लांट को पहचाना मुश्किल है। यदि रियल शमी और कोई भी अन्य पौधा दोनों सामने हो तो उन्हें पहचानना आसान है। जैसा की निचे फोटो में दिखाया गया है।

  • असली शमी वृक्ष की मुख्य पहचान

    शमी के पौधा

    veertaru plant identify

    वीरतरु के पौधा

    babool plant identify

    बबूल के पौधा

    kabuli kikar plant identify

    काबुली कीकर के पौधा

    नाम से शमी पौधे के पहचान :-

    शमी के नाम से पहचान

    शमी वृक्ष को अनेक नामों से जाना जाता है। स्थान व भाषा के अनुसार इसके अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नाम है। स्थानीय नाम से भी पहचाना जा सकता है की यही रियल शमी है। शमी वृक्ष के अन्य नाम जगह, स्थान व भाषा के अनुसार इस प्रकार है - शमी का वानस्पतिक नाम Prosopis Cineraria, हिंदी या संस्कृत में शमी, अंग्रेजी में Mesquite/ Sponge Tree, राजस्थान में खेजड़ी/खेजड़ा (khejri), सांगरी (sangri), लूंग loong, हरियाणा में जांट jand/जांटी jandi, उत्तर प्रदेश में छोंकरा, कर्नाटक में बन्नी ट्री/वन्नी मराम/बन्नी मारा, पंजाबी में जंड jand ਜੰਡ, सिंध में कांडी kandi, तमिल में वण्णि vanni/वण्णि मराम வன்னி மரம், गुजराती में शमी shami/ सुमरी sumari/खिजड़ो khijro, तेलुगु में जम्मी चेट्टू జమ్మిచెట్టు / सेमी चेट्टू, मराठी में शेमी, संयुक्त अरब अमीरात में घफ़ غاف ر ghaf कहते है। संयुक्त अरब अमीरात का यह राष्ट्रीय वृक्ष है। शमी के गुण, फल व इससे प्राप्त होने वाले लाभ के आधार पर अन्य प्रचलित नाम - "द वंडर ट्री", "रेगिस्तान का राजा", "भारतीय रेगिस्तान का गोल्डन ट्री", "राजस्थान का कल्पवृक्ष", "मरूस्थल का सुनहरा वृक्ष", "रेगिस्तान का गौरव", "राजस्थान का राज्य वृक्ष" भी जाना जाता है।

    असली शमी वृक्ष की पहचानन
    वीरतरु के नाम से पहचान

    डाइक्रोस्टैचिस सिनेरिया Dichrostachys cinerea, जिसे सिकलबुश Sickle Bush,, बेल मिमोसा Bell mimosa, चीनी लालटेन पेड़ Chinese lantern tree या कालाहारी क्रिसमस ट्री Kalahari Christmas tree के नाम से जाना जाता है। अन्य सामान्य नामों में ओमुबांबंजोबे omubambanjobe (युगांडा), बबूल सेंट डोमिंगु acacia Saint Domingue(फ्रांसीसी), एल मराबू el marabú(क्यूबा), कालाहारी-वेहनाचट्सबाउम Kalahari-Weihnachtsbaum(अफ्रीका) शामिल हैं। स्थान के नाम से वीरतरु के नाम - Assamese: beerbrikshya • Gujarati: મરૂઢ marud, મોરઢુંઢયુ mordhundhayu, વેલતુર veltur • Hindi: खेरी kheri, कुणाली kunali, शमी shami, वेलाटी velati, वीरतरु virataru • Kachchhi: કીની ખેરડી kini kheradi • Kannada: ಎಡತರಿ edatari, ಒದವಿನ Odavina, ಒಡತರೆ Odatare, ಶಮಿ shami, ವದವಿನ vadavina, ವಡುವಾರದ ಮರ vaduvarada mara • Konkani: सिगम कांटी sigam kamti • Malayalam: വെടതല vetatala, വീരവൃക്ഷം veeravriksham • Marathi: दुरंगी बाभूळ durangi babhul, सिगम काटी sigam kati • Rajasthani: गोया खैर goya khair • Sanskrit: बहुवारक bahuvaraka, दीर्घमूल dirghamula, महाकपित्थ mahakapittha, वीरतरु virataru, वीरवृक्ष viravriksha • Tamil: ஆனைத்தேர் anai-t-ter, வரித்துலா varittula, வெடுத்தலாம் vetuttalam, வீரதரு vira-taru, விடத்தேரை vitatterai • Telugu: వెలుతురుఛెట్టు veluturuchettu • Tulu: ಶಮಿ shami

    वीरतरु के नाम से पहचान
    बबूल के नाम से पहचान

    बबूल का वानस्पतिक नाम अकैसिया निलोटिका (Acacia nilotica), अंग्रेजी में acacia tree है। इसे वेचेलिया निलोटिका, गम अरबी पेड़, बबूल, कांटेदार मिमोसा thorn mimosa, मिस्र के बबूल, कांटेदार छुईमुई, बिलायती बबूल या कांटेदार बबूल के नाम से भी जाना जाता है। हिंदी में बबूल या कीकर, संस्कृत में दीर्घकंटका, तेलुगु में बबूरम, दुम्मा तमिल में कारूबेल, मराठी में बाबुल, गुजराती में बाबल, अरब का पेड़, मिस्र का कांटा, संत का पेड़, अल-संत, कांटेदार बबूल, यह अकैसिया प्रजाति का एक पेड़ है। गोमीफेरा gommier rouge -स्पेनिश, बबूल डे केयेन, गोमियर रूज -फ़्रेंच, लेक्केररुइकपेउल Lekkerruikpeul -अफ़्रीकी, سنط نيلي अरबी, 阿拉伯金合欢 चीनी, കരിവേലം मलयालम, ਕਿੱਕਰ पंजाबी, Акация нильская रूसी, கருவேலம் तमिल, నల్ల తుమ్మ तेलुगु। बबूल, मटर परिवार (फैबेसी) में पेड़ों और झाड़ियों की लगभग 160 प्रजातियों की एक प्रजाति है. बबूल दुनिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के मूल निवासी हैं। यह अकैसिया प्रजाति का एक वृक्ष है। यह अफ़्रीका, मध्य पूर्व, और भारतीय उपमहाद्वीप का मूल निवासी है। बबूल का इस्तेमाल दवा में भी किया जाता है।

    बबूल के नाम से पहचान
    काबुली कीकर के नाम से पहचान

    भारत में काबुली कीकर वनस्पति स्रोतों में प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा Prosopis juliflora से परिभाषित एक पौधे का नाम है लैटिन नाम प्लांटस हार्टवेगियानास इम्प्रिमिस मैक्सिकनस (1839), जर्नल ऑफ़ द अर्नोल्ड आर्बोरेटम (1976), नोवा जेनेरा एट स्पीशीज़ प्लांटारम (1823)। प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा Prosopis juliflora, अल्गारोबा Algarroba, मेस्काइट Mesquite, हिंदी में जंगली कीकर jungli kikar, विलायती कीकर vilayati kikar , अंग्रेज़ी बबूल, काबुली कीकर kabuli-kikar, प्राचीन यूनानी नाम - PROS-oh-pis, Kannada: ಬೆಳ್ಳರಿ ಜಲಿ bellari jali, Marathi: विलायती शमी vilayati shami, Tamil: வன்னி vanni, Telugu: ముల్ల తుమ్మ mulla thumma आदि नाम से कहते हैं। यह पौधा फ़ैबेसी (मटर, या लेग्यूम परिवार) से संबंधित है। इसकी फ़ूल अल्बिज़िया जूलिब्रिसिन (मिमॉसा) जैसे होते हैं। इसका मूल स्थान मेक्सिको, दक्षिण अमेरिका, और कैरेबियन है. अब यह एशिया, ऑस्ट्रेलिया, और अन्य जगहों पर पाया जाने लगा है।

    काबुली कीकर के नाम से पहचान

    शमी के प्रकार

    शमी शुद्ध रूप से एक ही प्रकार का होता है। जो राजस्थान की मरू भूमि में बहुतायत में पाया जाता है। जिसे स्थानीय भाषा में खेजड़ी वृक्ष कहते है। भारत के अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग नामो से जाना जाता है। शमी का वृक्ष बीज से ही उगाया जाता है। वर्तमान समय में कलम या आँख लगा कर संकर किस्म तैयार की जाती है जिससे फल (सांगरी) व पत्ते (लंग, चारा) जल्दी मिलने लगता है। शमी का कोई दूसरा रूप नहीं होता है। इसके आलावा दूसरे नकली या फेक शमी है।

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